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उत्तर प्रदेश: महाशिवरात्रि पर शिव की भव्य बारात, सुरक्षा व्यवस्था समेत स्थानीय संस्कृति की अनोखी झलक
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर सोनभद्र के दुद्धी तहसील क्षेत्र में लौवा पहाड़ी, हिरेश्वर महादेव मंदिर बीड़र, मल्देवा और कैलाश कुंज द्वार समेत अन्य देवालयों में एक अद्भुत शिव बारात का आयोजन हुआ।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर सोनभद्र के दुद्धी तहसील क्षेत्र में लौवा पहाड़ी, हिरेश्वर महादेव मंदिर बीड़र, मल्देवा और कैलाश कुंज द्वार समेत अन्य देवालयों में एक अद्भुत शिव बारात का आयोजन हुआ। इस बारात में भगवान शिव के भक्तों ने पारंपरिक तरीके से, भूत, पिचाश और अघोरी का रूप धरे हुए, अपनी संस्कृति और श्रद्धा का प्रदर्शन किया। पूरी बारात और इस पर्व के आयोजन में स्थानीय संस्कृति और धार्मिक उत्सवों का अनोखा संगम देखने को मिला। भोलेनाथ की बारात की शुरुआत बुधवार को दोपहर तीन बजे नगर के प्राचीन शिवाला मंदिर से भगवान शिव की बारात शुरू हुई। इस दौरान भगवान शिव के रूप में दूल्हा बने भोलेनाथ नंदी बैलगाड़ी पर सवार होकर चल रहे थे। शिव जी की बारात में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवी-देवता भी शामिल थे। इस भव्य आयोजन के दौरान भूत-पिशाच, रिछ, बानर आदि का रूप धरे हुए बच्चों के साथ आदिवासी महिला-मर्द भी नृत्य करते हुए इस बारात का हिस्सा बने। इसके साथ ही बारात के साथ चल रहे लोग अपनी परंपरागत संस्कृति को दर्शाते हुए जयघोष और नृत्य कर रहे थे। जगह-जगह जलपान और ठंडई स्टाल्स जैसे ही शिव बारात अपने रास्ते पर बढ़ी, शहरभर में जगह-जगह जलपान और ठंडई स्टाल्स लगाए गए थे, जहां लोग शिवभक्तों का स्वागत कर रहे थे। दुद्धी शिवाला से कैलाश कुंज द्वार एवं बिडर गांव के शिव मंदिर तक के बारातियों को गरमागरम जलपान और ठंडई की सेवा दी गई। भगवान शिव और मां पार्वती का जयमाल शिव बारात जब कैलाश कुंज द्वार मल्देवा और हिरेश्वर महादेव मंदिर बीड़र पहुंची, तो पूरे क्षेत्र में ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। जैसे ही भगवान शिव और मां पार्वती के बीच जयमाल हुआ, भक्तों का उत्साह अपने चरम पर था। सुरक्षा और प्रशासन की व्यवस्था कुल मिलाकर इस अद्भुत आयोजन में प्रशासन ने भी अपनी पूरी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की थी। स्थानीय पुलिस के साथ ही एडिशनल एसपी कालू सिंह और कोतवाल मनोज कुमार सिंह समेत तमाम पुलिस और पीएसी के जवानों ने बारात के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखा। पूरे इलाके की गतिविधियों पर ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी जा रही थी, ताकि किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटे। समाजसेवियों की भूमिका इस भव्य आयोजन में स्थानीय समाजसेवियों और गणमान्य व्यक्तियों का भी अहम योगदान था। कैलाश कुंज द्वार पर इस आयोजन की पूरी व्यवस्था डॉ. लवकुश प्रजापति और हिरेश्वर महादेव मंदिर के प्रबंधक रविंद्र जायसवाल द्वारा की गई थी। इसके अलावा चन्द्रिका प्रसाद आढ़ती, भोला बाबू, अरुणोदय जौहरी, प्रदीप कुमार, प्रेमचंद आढ़ती, राजेश्वर बाबू, बालकृष्ण जायसवाल, पंकज कुमार और अन्य सैकड़ों समाजसेवी भी इस आयोजन में शामिल हुए और आयोजन की सफलता में अपना योगदान दिया। सम्पूर्ण आयोजन का प्रभाव महाशिवरात्रि के इस खास दिन पर आयोजित शिव बारात ने ना केवल धार्मिक रूप से क्षेत्र को शिवमय किया, बल्कि इस आयोजन में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की भी शानदार झलक देखने को मिली। यह पर्व निश्चित रूप से न केवल भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं के आदान-प्रदान का भी माध्यम बन गया। इस आयोजन ने क्षेत्र के लोगों को एकजुट किया और धार्मिक विविधताओं के बावजूद सामूहिक रूप से एक आदर्श पर्व मनाने की प्रेरणा दी।
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