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Pitru Paksh 2025: कोनसा दिन बनेगा शुभ, श्राद्ध के पहले दिन क्या पहने, श्राद्ध में कैसे करे पितरो को खुश 

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दिल्ली  Published by: Kunal , Date: 09/09/2025 03:22:32 pm Share:
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  • 09/09/2025 03:22:32 pm
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संक्षेप

दिल्ली: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और भावनात्मक पक्ष होता है, जिसमें हम अपने पितरों (पूर्वजों) का श्राद्ध करते हैं, उन्हें जल और तर्पण अर्पित करते हैं, और उनके लिए भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाते हैं। मान्यता है

विस्तार

दिल्ली: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और भावनात्मक पक्ष होता है, जिसमें हम अपने पितरों (पूर्वजों) का श्राद्ध करते हैं, उन्हें जल और तर्पण अर्पित करते हैं, और उनके लिए भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितृलोक के द्वार खुलते हैं और हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। पितृ पक्ष 2025 कब से कब तक है? पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 28 सितंबर 2025 (रविवार) से हो रही है और इसका समापन 12 अक्टूबर 2025 (रविवार) को सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगा।यह 16 दिवसीय अवधि होती है जिसमें हर दिन का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु उसी तिथि को हुई हो।

28 सितंबर, रविवार तिपदा श्राद्ध 29 सितंबर सोमवार द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर मंगलवार    तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर बुधवार चतुर्थी श्राद्ध 12 अक्टूबर रविवार सर्वपितृ अमावस्या  सभी पितरों का सामूहिहिक श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या (12 अक्टूबर 2025) सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह उन सभी पितरों को समर्पित होता है जिनकी तिथि मालूम न हो या जो अनाम, अज्ञात या दुर्घटना में मारे गए हों। इसके अतिरिक्त एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी को भी विशेष पुण्यकारी माना जाता है। श्राद्ध के पहले दिन क्या पहनें? श्राद्ध एक शुद्ध और आध्यात्मिक कार्य है। अतः कपड़ों का चयन भी सावधानी से करें:

पुरुषों के लिए सफेद या हल्के रंग के धोती-कुर्ता सिर पर अंगोछा या रूमाल बिना सिलाई वाले वस्त्र को प्राथमिकता दें (यदि संभव हो) महिलाओं के लिए सादा सूती साड़ी (हल्के रंग की, जैसे पीली, सफेद, गुलाबी) श्रृंगार न करें (श्रृंगार करना वर्जित माना गया है) बाल खुले न रखें श्राद्ध में काले, चमकीले या डिजाइनर कपड़े पहनने से बचें। यह एक श्रद्धा और सादगी का पर्व है। तर्पण और पिंडदान करें: कुशा घास, तिल और जल से तर्पण करें। गोमती नदी या घर पर ताम्र पात्र में जल से तर्पण संभव है। पिंडदान में चावल, तिल, जौ, दूध और घी का प्रयोग होता है। वंश वृद्धि में बाधा समाप्त होती है , आर्थिक संकट दूर होते हैं पारिवारिक शांति मिलती है विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं पितृ दोष का शमन होता है।