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Pitru Paksha News: 7 से 21 सितंबर तक चलेगा श्राद्ध पक्ष, पितरों की शांति के लिए तर्पण करना जरूरी: जानिए धार्मिक महत्व

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यशोदा   Published by: , Date: 09/09/2025 03:46:18 pm Share:
  • यशोदा
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  • 09/09/2025 03:46:18 pm
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संक्षेप

दिल्ली: भारतीय संस्कृति के अनुसार इन दिनों श्राद्ध चल रहे है। साल 2025 में श्राद्ध 7 सितंबर से शुरू हो चुके है और 21सितंबर को समाप्त हो रहे है।

विस्तार

दिल्ली: भारतीय संस्कृति के अनुसार इन दिनों श्राद्ध चल रहे है। साल 2025 में श्राद्ध 7 सितंबर से शुरू हो चुके है और 21सितंबर को समाप्त हो रहे है। भारतीय संस्कृति में पितरों (पूर्वजों) के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने की परंपरा काफी पुरानी है। इसी भावना को पूर्ण करने के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध संस्कार पितृ पक्ष के दौरान किया जाता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धापूर्वक तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज का आयोजन करते हैं। श्राद्ध क्यों जरूरी है। इसका उत्तर धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक तीनों दृष्टिकोणों से मिलता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, व्यक्ति का शरीर मरने के बाद पंचतत्व में विलीन हो जाता है, परंतु आत्मा अमर होती है। जब तक आत्मा को मोक्ष नहीं मिलता, वह पितृलोक में वास करती है। श्राद्ध कर्म द्वारा पितरों को जल और अन्न अर्पण किया जाता है, जिससे उन्हें संतोष प्राप्त होता है और वे आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध न करने पर पितरों की आत्मा असंतुष्ट रहती है, जिसे "पितृदोष" कहा जाता है। यह दोष परिवार में मानसिक तनाव, संतान की बाधा, धन की कमी और असफलता का कारण बन सकता है। अतः श्राद्ध करना पितरों के प्रति सम्मान ही नहीं परिवार की उन्नति और सुख-शांति के लिए भी आवश्यक माना गया है। श्राद्ध कर्म हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने पूर्वजों के ऋणी हैं। हमें उनके बलिदान और योगदान को नहीं भूलना चाहिए। यह संस्कार परिवार में सहिष्णुता, परंपरा और एकजुटता की भावना को भी बनाए रखता है। इस प्रकार, श्राद्ध केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने की एक पुण्य परंपरा है।