-
☰
Chhath Update: ठेकुआ क्यों है छठी मैया का प्रिय प्रसाद? जानिए इसका इतिहास और महत्व
- Photo by : social media
संक्षेप
दिल्ली: छठ पूजा 2025 का उत्सव पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इस पावन पर्व का सबसे प्रमुख प्रसाद ठेकुआ होता है
विस्तार
दिल्ली: छठ पूजा 2025 का उत्सव पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इस पावन पर्व का सबसे प्रमुख प्रसाद ठेकुआ होता है, जिसे छठी मैया का सबसे प्रिय भोग माना जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कई हिस्सों में इसे महाप्रसाद के रूप में विशेष स्थान दिया जाता है। ठेकुआ का धार्मिक महत्व छठी मैया की पूजा में सादगी और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ठेकुआ पूरी तरह देसी सामग्री से बनाया जाता है — इसमें गेहूं का आटा, गुड़ या चीनी, नारियल और घी का उपयोग होता है। इसे तेल या घी में तलकर सुनहरा बनाया जाता है और बिना किसी कृत्रिम रंग या स्वाद के यह शुद्ध प्रसाद माना जाता है। यही सादगी इसे छठी मैया का प्रिय बनाती है। इतिहास और परंपरा कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब छठ पर्व की शुरुआत हुई थी, तब भक्त सूर्यदेव और षष्ठी देवी को प्रसन्न करने के लिए ऐसा प्रसाद बनाया गया जो पूर्णतः प्राकृतिक और सात्विक हो। ठेकुआ उसी भावना का प्रतीक है — मेहनत, शुद्धता और समर्पण। यह प्रसाद व्रतियों द्वारा अर्घ्यदान के बाद परिवार और समुदाय में बाँटा जाता है, जो एकता और प्रेम का संदेश देता है। सांस्कृतिक जुड़ा छठ पूजा में ठेकुआ सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है। इसे घर की महिलाएँ खास विधि से बनाती हैं और पूजा से पहले तक कोई इसे नहीं खाता। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जाती है। आधुनिक समय में भी वही भक्ति: समय के साथ भले ही पूजा की शैली में कुछ बदलाव आए हों, लेकिन ठेकुआ की अहमियत आज भी वही है। यह प्रसाद भक्ति, श्रम और सादगी का संगम है, जो छठ पर्व को सबसे पवित्र बनाता है। इस वर्ष 2025 में छठ पूजा का अर्घ्य 5 और 6 नवंबर को दिया जाएगा, और भक्त एक बार फिर छठी मैया को अपने घर के ठेकुआ से प्रसन्न करने की तैयारी में जुटे हैं।