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Navratri 2025: 51 शक्ति पीठों के दिव्य दर्शन से करें मां दुर्गा की कृपा प्राप्त, नाम, स्थान एवं महत्व
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संक्षेप
दिल्ली: नवरात्रि का पवित्र अवसर शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस नौ दिवसीय उत्सव में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। परंतु नवरात्रि के साथ जुड़ी एक महान परंपरा है,
विस्तार
दिल्ली: नवरात्रि का पवित्र अवसर शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस नौ दिवसीय उत्सव में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। परंतु नवरात्रि के साथ जुड़ी एक महान परंपरा है, शक्ति पीठों की यात्रा। कहा जाता है कि जब देवी सती का शरीर टूट कर 51 भागों में बिखर गया था, तो उन टुकड़ों ने विभिन्न स्थानों पर गिर कर शक्ति स्वरूप स्थान पायी। ये 51 शक्ति पीठ — यानि देवी शाक्ति के पवित्र केंद्र — भक्ति के मार्ग को ऊँचा करते हैं। नीचे प्रमुख शक्ति पीठों के नाम, वे कहाँ स्थित हैं और उनकी खासियतों का विवरण पेश है।
क्यों है ये स्थल इतने महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व: ये पीठ देवी सती की अमर गाथा से जुड़े हुए हैं, जब सती ने अपने पिता दक्ष की यज्ञ में अनुपस्थित होने वाले शिव की अपमानित किए जाने पर आत्मदाह कर लिया, तब शिव ने उनकी देह लेकर तांडव किया। कृष्ण ने उनका शरीर टुकड़ों में बाँट दिया ताकि शिव को शांति मिले। भक्ति व मनोकामनाएँ: मान्यता है कि शक्ति पीठों पर दर्शन व पूजा से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, पापों का नाश होता है और भक्तों को आध्यात्मिक शान्ति मिलती है। सांस्कृतिक व ऐतिहासिक समृद्धि: ये मंदिर और स्थल कला, स्थापत्य, सांस्कृतिक उत्सवों के केंद्र हैं। हर पीठ का अपना लोक-कथा, संगीत, त्यौहार व मंदिर निर्माण की स्थापत्यशैली है। नवरात्रि का प्रभाव: नवरात्रि के दिनों में शक्ति पीठों पर विशेष पूजा-आरती होती है, कुंकुम, पुष्प, दीप और प्रसाद से वातावरण मंत्रमुग्ध बना उठता है।