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राजस्थान: सोमवती अमावस्या: सूर्य ग्रहण के समान पुण्यदायी दिन, दान और पूजा से मिलती है अक्षय पुण्य
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विस्तार
राजस्थान: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, और सोमवती अमावस्या को खास रूप से पुण्यदायी माना जाता है। इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या के अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों ने धर्म और पुण्य कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष रूप से व्रत रूप से करने का विधान है, जो व्यक्ति की सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि कर सकता है। महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के तहत इस दिन विशेष रूप से स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गौशाला, मंदिरों और मूक बधिर पशुओं के लिए दान देने के लिए लोगों की भीड़ देखी जाती है। धर्माचार्य मंहत सांवल दास महाराज ने महिलाओं और पुरुषों की धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सोमवती अमावस्या सूर्य ग्रहण के समान पुण्यदायी होती है। इस दिन किया गया जप, ध्यान, दान, श्राद्ध, और तीर्थ स्नान का फल अक्षय होता है। मंहत सांवल दास महाराज ने आगे कहा कि इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने यह भी बताया कि अमावस्या के दिन मौन रखकर स्नान करने से हजारों गोदान का फल मिलता है। इस दिन गौ माता को चारा खिलाना, कुत्तों को लड्डू खिलाना और गरीबों की सेवा करना विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है। सभी श्रद्धालुओं से अपील की गई कि वे इस दिन अधिक से अधिक पुण्य कार्य करें क्योंकि इस दिन किया गया दान और पुण्य कार्य अत्यंत उत्तम और फलदायी होता है।
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