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उत्तर प्रदेश: सऊदी अरब में कफाला प्रणाली समाप्त, 1.30 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को राहत; 25 लाख भारतीयों को बड़ा फायदा
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: सऊदी अरब ने दशकों पुरानी कफाला (प्रयोजन) प्रणाली को आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है. आलोचक लंबे समय से इसे आधुनिक गुलामी कहते आ रहे थे. क्रॉउन प्रिं
विस्तार
उत्तर प्रदेश: सऊदी अरब ने दशकों पुरानी कफाला (प्रयोजन) प्रणाली को आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है. आलोचक लंबे समय से इसे आधुनिक गुलामी कहते आ रहे थे. क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के महत्वाकांची विजन 2030 सुधारों के तहत लिया गया यह ऐतिहासिक फैसला देश में कार्यरत लगभग 1.30 करोड़ विदेशी कामगारों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा जिनमें, 25 लाख से अधिक भारतीय शामिल हैं. कफाला प्रणाली के तहत एक प्रवासी श्रमिक का कानूनी दर्जा और काम करने का अधिकार उसके स्थानीय नियोक्ता (कफील) से बंधा होता था, जिससे नियोक्ता को श्रमिक के जीवन पर असीमित नियंत्रण मिल जाता था. इसके कारण श्रमिक न तो अपने मर्जी से नौकरी बदल सकते थे, न ही देश छोड़ सकते थे और न ही शोषण के खिलाफ आसानी से कानूनी मदद ले पाते थे।
इस विवादास्पद प्रणाली को हटाकर सऊदी अरब में एक अनुबंध- आधारित रोजगार मॉडल लागू किया है. इस मुख्य बदलाव के तहत श्रमिक अब मौजूदा नियोक्ता की अनुमति के बिना नई नौकरी कर सकते हैं. देश छोड़ने के लिए अनिवार्य एग्जिट वीजा की आवश्यकता भी समाप्त कर दिया गया है. इस सुधार का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि श्रमिकों को बेहतर वेतन और शर्तों के लिए मोलभाव करने की शक्ति मिलेगी, और वह शोषण या वेतन विवादों के मामले मे श्रम अदालतों तक बेहतर पहुंच प्राप्त कर सकेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कदम को मानवाधिकारों की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, हालांकि विशेषज्ञों ने जोर दिया है कि स्थायी बदलाव सुनिश्चित करने के लिए इन कानूनों का जमीनी स्तर पर शक्ति से क्रियान्वयन आवश्यक है।