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उत्तर प्रदेश: मेयर उमेश गौतम ने पार्षदों को दिए नोटों से भरे लिफाफे और अटैची सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर
- Photo by : social media
संक्षेप
उत्तर प्रदेश: शहर में सड़कों की हालत बदतर है, गलियों में गंदगी का अंबार है, स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च हो गए, लेकिन काम नदारद हैं ऐसे में नगर निगम के मेयर उमेश गौतम दिवाली
विस्तार
उत्तर प्रदेश: शहर में सड़कों की हालत बदतर है, गलियों में गंदगी का अंबार है, स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च हो गए, लेकिन काम नदारद हैं ऐसे में नगर निगम के मेयर उमेश गौतम दिवाली पर पार्षदों को नोटों से भरा लिफाफा और अटैची बांटते नजर आए। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही शहर में हड़कंप मच गया
सूत्रों के मुताबिक, इस बार मेयर ने भाजपा के कई दर्जन से अधिक पार्षदों को अटैची के साथ नोटों से भरा लिफाफा दिया। साथ में दिवाली की परंपरा निभाने के लिए मिठाई का डिब्बा भी दिया गया। मगर, सपा और कांग्रेस पार्षदों को केवल मिठाई का डिब्बा ही थमाया गया। इससे नाराज़ विपक्षी पार्षदों ने कहा कि “मेयर साहब ने दिवाली का गिफ्ट नहीं, मुंह बंद करने का सौदा किया है।
कांग्रेस और बसपा पार्षदों को गिफ्ट न मिलने से भी गहरी नाराज़गी देखने को मिली। वहीं, सूत्रों का दावा है कि मुस्लिम पार्षदों को अटैची और लिफाफे चुपचाप उनके घर भेजे गए, ताकि मामला ज्यादा तूल न पकड़े। शहरवासी अब सवाल उठा रहे हैं “आख़िर आठ साल में 6000 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी बरेली की सड़कें और नालियां खस्ताहाल क्यों हैं? जवाब में नगर निगम खामोश है, और पार्षद भी। वजह साफ है ‘अटैची और लिफाफा बताया जा रहा है कि हर लिफाफे में 10 हजार रुपये से अधिक की रकम थी। वहीं निगम के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि निगम के हर निर्माण कार्य में 12 से 15 प्रतिशत तक कमीशन वसूला जाता है। यही कारण है कि सड़कों और नालियों का काम छह महीने में ही उखड़ जाता है।अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या मेयर उमेश गौतम ने यह लिफाफा ‘त्योहार का तोहफा’ दिया या पार्षदों की जुबान बंद करने की चाल चली? फिलहाल, इस मामले पर जब मेयर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। सोशल मीडिया पर अटैची और लिफाफा थामे पार्षदों की तस्वीरें तेज़ी से वायरल हैं, और शहर में चर्चा का केवल एक ही मुद्दा है।