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IPC से BNS तक: 2026 से पहले कई धाराएं बदलीं, नए कानूनों में बड़े सुधार लागू
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संक्षेप
दिल्ली: भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दशकों बाद बड़ा बदलाव किया गया है। भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य अधिनियम को बदलकर अब तीन नए कानून लागू किए जा रहे हैं भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारतीय नागरी सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)।
विस्तार
दिल्ली: भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दशकों बाद बड़ा बदलाव किया गया है। भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य अधिनियम को बदलकर अब तीन नए कानून लागू किए जा रहे हैं भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारतीय नागरी सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)। 2026 से पहले ही विभिन्न चरणों में कई धाराओं का स्थानांतरण, पुनर्गठन और संशोधन लागू हो चुके हैं, जिससे देश में अपराध, जांच और सजा से जुड़े नियमों में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। क्या बदला IPC में और क्या नई संरचना है BNS की?** पुराने IPC में कुल 511 धाराएँ थीं, जबकि BNS में इनको पुनर्गठित करके स्पष्ट, संक्षिप्त और आधुनिक रूप दिया गया है। अपराधों की परिभाषाओं को अपडेट किया गया है और कई नई धाराएँ जोड़ी गई हैं। मुख्य बदलाव देशद्रोह (Sedition) से जुड़ी IPC की धारा 124A को समाप्त कर BNS में राज्य की संप्रभुता, एकता और स्थिरता के खिलाफ युद्ध* जैसी नई परिभाषा शामिल। मोब लिंचिंग, संगठित अपराध, आतंकी गतिविधियों, साइबर अपराधों पर नई विशेष धाराएँ तय। महिलाओं के खिलाफ अपराधों को अधिक स्पष्ट और कठोर दंड के साथ पुनर्परिभाषित किया गया है। हिट एंड रन, मानव तस्करी, नाबालिगों के विरुद्ध अपराधों पर कड़े प्रावधान। BNSS (नई क्रिमिनल प्रोसीजर) में क्या परिवर्तन हुए? दंड प्रक्रिया से जुड़ी कई पुरानी प्रक्रियाओं को बदला गया है। FIR ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा का प्रावधान पहली बार गिरफ्तारी में *इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग* और निगरान जमानत और रिमांड नियमों में पारदर्शिता हर बड़े आपराधिक मामले में **फॉरेंसिक जांच अनिवार्य BSA (साक्ष्य कानून) में आधुनिक तकनीक को मान्यता** पुराने साक्ष्य अधिनियम को संशोधित कर तकनीकी प्रमाणों को अधिक मजबूती से स्वीकार किया गया है। डिजिटल डाटा, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और CCTV फुटेज को प्रमाण के रूप में स्पष्ट वैधानिक मान्यता गवाहों की सुरक्षा और बयान रिकॉर्डिंग के लिए नई व्यवस्था 2026 से पहले ये बदलाव क्यों जरूरी थे? सरकार का दावा है कि पुराने कानून औपनिवेशिक मानसिकता से जुड़े थे और आधुनिक अपराधों—जैसे साइबर क्राइम, वित्तीय धोखाधड़ी, ड्रोन अपराध, आतंकवाद और डिजिटल सबूत को संबोधित करने में कमजोर हो चुके थे।
नए कानूनों का उद्देश्य तेजी से न्याय, तकनीक आधारित जांच और अपराधियों के लिए कठोर सजा* सुनिश्चित करना है। कानूनी विशेषज्ञों की राय कई विशेषज्ञ इसे आधुनिक भारत के लिए आवश्यक सुधार मानते हैं, वहीं कुछ कानूनी विश्लेषक कहते हैं कि इन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पुलिस, अदालतों और जांच एजेंसियों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण और संसाधन देने की जरूरत होगी। नागरिकों पर सीधा प्रभाव इन परिवर्तनों से FIR प्रक्रिया आसान पारदर्शी जांच महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत गम्भीर अपराधों पर कड़ी सजा जैसी सुविधाएं मिलेंगी।