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उत्तर प्रदेश: प्रेम, दया और शांति का संदेश देने वाला क्रिसमस सभी धर्मों को जोड़ता है

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उत्तर प्रदेश  Published by: Anand Kumar(UP) , Date: 09/12/2025 03:15:20 pm Share:
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  • 09/12/2025 03:15:20 pm
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: 25 दिसंबर को क्रिसमस के पर्व पर प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन प्रेम और सद्भाव के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है. प्रेम,  दया, आशा और शांति का संदेश देने वाला यह प्रमुख त्यौहार सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करता है।

विस्तार

उत्तर प्रदेश: 25 दिसंबर को क्रिसमस के पर्व पर प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन प्रेम और सद्भाव के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है. प्रेम,  दया, आशा और शांति का संदेश देने वाला यह प्रमुख त्यौहार सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करता है। क्रिसमस डे पर दुनिया भर में उत्सव का माहौल होता है, जहां लोग धार्मिक आस्था और संस्कृत परंपराओं के साथ मिलकर खुशी और सौहार्द मनाते हैं. इस दिन लोग केक काटकर क्रिसमस का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं। क्रिसमस ईसाई धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, लेकिन समय के साथ इसे हर धर्म और वर्ग के लोग धूमधाम से मानने लगे हैं. इस पर्व में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है वह है क्रिसमस ट्री. क्रिसमस के पर्व पर लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगा ते हैं.साथ ही इस रंग- बिरंगी रोशनी और खिलौनों से सजाया जाता है, लेकिन इसका इतिहास बहुत ही रोचक है। दरअसल क्रिसमस ट्री को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने इसकी शुरुआत की थी। 

मार्टिन लूथर 24 दिसंबर की शाम को एक बर्फीले जंगल से जा रहे थे, जहां उन्होंने एक सदाबहार के पेड़ को देखा. पेड़ की डालियां चांद की रोशनी से चमक रही थीं. इसके बाद मार्टिन लूथर ने अपने घर पर भी सदाबहार का पेड़ लगाया और इसे छोटे-छोटे कैंडल से सजाया. इसके बाद उन्होंने जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में भी इस सदाबहार पेड़ को सजाया और इस पेड़ को कैंडल की रोशनी से प्रकाशित किया। मान्यता है कि तभी से क्रिसमस ट्री लगाने की परंपरा शुरू हुई. इससे जुड़ी एक अन्य कहानी 722 ईसवी की है. कहा जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई. एक बार जर्मनी के सेंट बोनि फेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे। इस बात की जानकारी मिलते ही सेंट बोनिफेस ने बच्चों को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया. इसके बाद इस ओक ट्री के जड़ के पास से एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया. लोग इस पेड़ को चमत्कारिक मानने लगे. सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि यह एक पवित्र देवीय वृक्ष है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं. मान्यता है कि तब से लोग हर साल प्रभु यीशु के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में क्रिसमस की तैयारियां अभी से ही शुरू हो चुकी हैं. खासकर एड्वेंट (प्रभु यीशु के आगमन का समय) शुरू होने के साथ ही चर्च सहित घरों में विशेष प्रार्थना सभाएं, सजावट, कैरोल सिंगिंग और क्रिसमस ट्री लगाने का काम तेज हो गया है. जिससे पूरे समुदाय में उत्साह और खुशी का माहौल है, और लोग शांति और सौहार्द का संदेश बांटने के लिए जुट रहे हैं। 

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