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हरियाणा: आईपीएस वाई पूर्णकुमार की संदिग्ध मौत पर संगठनों का रोष, राष्ट्रपति को निष्पक्ष जांच की मांग
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संक्षेप
हरियाणा: आईपीएस वाई पूर्णकुमार की संदिग्धावस्था अवस्था में 07 अक्तूबर को हुई आत्महत्या के मामले में विभिन्न संगठनों की रोष बैठक महर्षि वाल्मीकि सभा में सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान की अध्यक्षता में आयोजित की गई ।
विस्तार
हरियाणा: आईपीएस वाई पूर्णकुमार की संदिग्धावस्था अवस्था में 07 अक्तूबर को हुई आत्महत्या के मामले में विभिन्न संगठनों की रोष बैठक महर्षि वाल्मीकि सभा में सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान की अध्यक्षता में आयोजित की गई । बैठक में इस दर्दनाक व संगीन घटना पर भारी रोष प्रकट करते हुए जमकर नारेबाजी की गई और दो मिनट का मौन भी रखा गया। तत्पश्चात विभिन्न संगठनों द्वारा संयुक्त हस्ताक्षर युक्त पत्र राष्ट्रपति, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, प्रधानमंत्री व हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर मांग की गई कि इस संगीत मामले में हाई कोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में निष्पक्ष जांच करवा कर हरियाणा पुलिस व प्रशासन के दोषी उच्चाधिकारियों को निलंबित कर उन्हें कड़ी सजा दी जाए ताकि आरक्षित वर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों को सरकार द्वारा भय मुक्त माहौल मुहैया करवाया जा सके । रोष बैठक का संचालन करते हुए समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के वाइस चेयरमैन बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि मृतक अधिकारी की आईएएस पत्नी ने इस मामले को लेकर चण्डीगढ़ पुलिस को अपनी शिकायत दी, जिसमें उन्होंने हरियाणा के वर्तमान डीजीपी शत्रुजीत कपूर तथा रोहतक के एसपी नरेन्द्र बिजारणिया सहित कई अन्य आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को अपने पति की मौत के लिए उत्तरदायी ठहराया है तथा एक सुसाईड नोट भी मीडिया में चल रहा है जिसमें वाई पूर्ण कुमार ने उल्लेख किया है कि उन्हें जाति के आधार पर प्रताड़ित करने, अपने रैंक से नीचे पदों पर लगाने, एरियर रोकने, लो स्टैंडर्ड व्हीकल देने और डीजीपी ऑफिस में बैठे अन्य अधिकारियों द्वारा साजिश के तहत झूठी शिकायत करवाकर फंसाना और मीडिया में बदनाम करने जैसे कई गम्भीर आरोप लगाए हुए हैं । इस स्थिति में यह साफ जाहिर है कि सरकारी तंत्र के बड़े पद ऐसे लोगों के हाथों में है जिनकी मानसिकता बहुत छोटी है। खुद को सर्वश्रेष्ठ कहने वाले और सिस्टम को चलाने वाले ऐसे लोग किस हद तक जातिवाद में फंसे पड़े हैं। फिर आम लोग ऐसे अधिकारियों से न्याय के लिए क्या उम्मीद रखेंगे? इतने बड़े स्तर पर जातिवाद है तो हम आज कहां खड़े हैं अंदाजा लगाया जा सकता है । इसी का नतीजा है कि एक आईपीएस ऑफिसर को जातिगत उत्पीड़न से सुसाइड के लिए मजबूर करना पड़ा। वहीं समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष एवं पूर्व तहसीलदार लालाराम नाहर, परिवर्तनकारी साहित्य मंच के प्रधान एवं पूर्व प्राचार्य डॉ शिवताज सिंह, महर्षि वाल्मीकि सभा के प्रधान जोगेंद्र जैदिया, धानक समाज के पूर्व डीजीएम महेंद्र खन्ना, कोली सभा के तोताराम, हरियाणा प्रदेश चमार महासभा के जिलाध्यक्ष अनिल फाण्डन, डॉ अंबेडकर जन जाग्रति मंच के जसवंत भाटी, श्रेष्ठ फाउंडेशन हरियाणा के सुशील शीलू, भारतीय बौद्ध महासभा के सुरेंद्र अंबेडकर, खटीक सभा के पतराम खिंची, अखिल भारतीय सफाई कर्मचारी संघ के दयाराम, बार एसोसिएशन के एडवोकेट विनोद कुमार, और विभिन्न संगठनों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि यह दुख का विषय है कि हरियाणा में आरक्षित वर्ग से आने वाले किसी भी सांसद और विधायक ने इस संगीन मामले में न्याय दिलाने के लिए आवाज नहीं उठाई, जबकि बाबा साहब ने संविधान में एससी-एसटी के लिए आरक्षण संसद/विधान सभा में इसलिए किया था कि यह एससी एसटी के एमएलए और एमपी लोकसभा और विधानसभा में जाकर आरक्षित वर्ग के उत्थान के लिए कुछ काम करेंगे लेकिन सभी अपने नीजि स्वार्थ में मूकदर्शक बनकर आरक्षण का आनंद ले रहे हैं। यदि इस केस की हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में हाई लेवल की निष्पक्ष जांच सख्ती से की जाए तो इस जघन्य घटना में पुलिस व प्रशासन के अनेक उच्चाधिकारियों के षडयन्त्र का पर्दाफाश होगा क्योंकि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि सोची समझी चाल व षडयंत्र के तहत एक मर्डर है। रोष बैठक में संघर्ष समिति के प्रमुख सलाहकार धानक समाज के शिवनारायण मोरवाल, मानव समाज सेवा फाउंडेशन के प्रधान जयपाल सिंह, साहित्यकार भूप सिंह सिंह गोठवाल, गुरु रविदास सभा के दयानंद सांवरिया, खंड अटेली के रोहतास बबेरवाल, नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के महेंद्र सिंह, एसएलजी फाऊंडेशन इंडिया के अध्यक्ष सुंदरलाल जोरासिया, पूर्व प्राचार्य अमर सिंह निम्होरिया, प्यारेलाल चवन, डॉ बी आर अंबेडकर युवा मंडल के प्रधान विक्रम मांडैया, खण्ड नांगल चौधरी के प्रधान रोहतास बबेरवाल, महर्षि वाल्मीकि सभा के राजेश चांवरिया, हरि सिंह बड़कोदिया, खण्ड अटेली के प्रधान किशनलाल, प्रमुख सलाहकार प्रभु दयाल, गुरु रविदास महासभा के दयानंद सांवरिया, अमरनाथ सिरोहा, कन्हैयालाल कलोरिया, हरिराम सिरोहा, हरिसिंह कलोरिया, करतार सिंह जैदिया, प्रधान राजेंद्र गोठवाल, भारत भूषण, भूपेंद्र सांगवान, अशोक कुमार जैदिया, कुलदीप वाल्मीकि, संजय कुमार, मनोज कुमार, बीपी पूनिया, बाबूलाल सुरानी, शेर सिंह चौधरी, गूगन राम सिरोहा, बलबीर हुडीना, ग्यारसी लाल सरपंच, आशुतोष, ज्ञानी राम, जगदीश टकनेर, बनवारी लाल, सुरेंद्र नारनोलिया, राजेश नंबरदार, कृष्णा पूनिया, राहुल सारवान, शिव कुमार, हजारीलाल खटावला आदि अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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