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राजस्थान: पीएम धन-धान्य योजना से किसानों की आय बढ़ाने नई पहल
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संक्षेप
राजस्थान: पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के अन्तर्गत किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई पहल की शुरुआत।
विस्तार
राजस्थान: पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के अन्तर्गत किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई पहल की शुरुआत। टाउन हॉल में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में जिला कलक्टर सहित बहुसंख्यक किसान रहें उपस्थित। ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ में देश के 100 जिलों में राजस्थान के नागौर सहित आठ जिलें। 11 अक्टूबर। कृषि क्षेत्र के समग्र विकास और किसानों की आय दुगूनी करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ प्रारम्भ की गई है। इनका उद्देश्य देश भर में किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, फसल विविधकरण, मूल्य संवर्धन और बाजार सुविधा से जोड़ना है। जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने बताया कि ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ एवं ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ का शुभारम्भ 11 अक्टूबर, शनिवार को नई दिल्ली से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि ने बताया कि जिला स्तरीय कार्यक्रम में बहुसंख्यक कृषकों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ में देश के 100 जिलों को शामिल किया गया है। जिनमें नागौर सहित आठ जिलें शामिल हैं। योजनांतर्गत जिले का उत्पादन देश के औसत उत्पादन से कम है इसलिए जिलें का उत्पादन को बढ़ा कर देश के औसत उत्पादन के बराबर लाना है जिससे कृषकों की आय में वृद्धि होगी और आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी। जिला स्तरीय कार्यक्रम में पूर्व विधायक मोहनराम चौधरी, भाजपा जिलाध्यक्ष रामधन पोटलिया,अतिरिक्त जिला कलक्टर चम्पालाल जीनगर, संयुक्त निदेशक कृषि हरीश मेहरा, कृषि उपज मण्डी सचिव रघुनाथ सींवर , सहायक निदेशक मेड़ता कृषि रामप्रकाश बेड़ा,सहायक निदेशक डेगाना कृषि शंकरलाल सियाक सहित अधिकारीगण व बहुसंख्या में किसान उपस्थित रहे। ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ केन्द्र सरकार द्वारा छोटे और सीमांत किसानों की कृषि उत्पादकता और आजीविका बढ़ाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना का लक्ष्य आधुनिक कृषि पद्धतियां, टिकाउ कृषि और संसाधनों का कुशल प्रबंधन है। यह योजना पूरे देश में कम उत्पादकता और मध्यम फसल संघनता वाले 100 जिलों में लागू की जा रही है, इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ब्लॉक और पंचायत स्तर पर फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
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