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उत्तर प्रदेश: WHO ने सराहा भारत का टीबी उन्मूलन प्रयास, मृत्यु दर में सुधार के संकेत
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीबी के उन्मूलन में उत्साह जनक प्रगति के लिए भारत की प्रशंसा की. साथ ही कहा कि इसकी पहचान में लगने वाला समय काम हुआ है
विस्तार
उत्तर प्रदेश: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीबी के उन्मूलन में उत्साह जनक प्रगति के लिए भारत की प्रशंसा की. साथ ही कहा कि इसकी पहचान में लगने वाला समय काम हुआ है.मंगलवार को जारी एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि भारत में टीबी से संबंधित मृत्यु दर में सुधार के संकेत मिले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन कि वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट, 2025 का हवाला देते हुए इस बयान में कहा गया है कि 2024 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र मे टीबी एक बड़ा बोझ बना रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2024 में लगभग 27.1 लाख टीबी मरीजों का अनुमान लगाया गया, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड ने बड़ी संख्या में मामलों की पहचान की है, जिससे डिटेक्शन गैप कम हुआ है. साथ ही आंकड़े यह भी बताते हैं कि टीबी से होने वाली मौतों में भी भारत, बांग्लादेश, नेपाल, और थाईलैंड सहित कई देशों में 2015 की तुलना मे गिरावट दर्ज की गई है. कोविड -19 के बाद टीबी सेवाएं दोबारा पटरी पर लौटने से यह सुधार संभव हुआ है. हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि इसके बावजूद भी WHO ने चेताया कि क्षेत्र की प्रगति अभी भी इतनी तेज नहीं है कि 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य पूरे हो सकें. 2024 में दुनिया भर में 1.23 मिलियन (12.3 लाख) लोगों की टीबी से मौत हुई. दूसरी और दक्षिण- पूर्व एशिया क्षेत्र में दुनिया की आबादी का एक- चौथाई से भी कम हिस्सा रहता है, फिर भी हर साल वैश्विक टीबी मामलों में हर तीन में एक मामला इसी क्षेत्र से आता है. ड्रग- रेसिस्टेंट टीबी भी बड़ी चुनौती है, 2024 में ऐसे 1.5 लाख में मामले सामने आए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, क्षेत्र में 2015 से टीबी मामलों में 16 प्रतिशत की कमी आई है जो वैश्विक औसत (12%) से थोड़ा बेहतर है, लेकिन मौतों में गिरावट उतनी तेज नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी डॉ. कैथरीना बोहम का कहना है कि टीबी अभी भी गरीब आबादी को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. उन्होंने समाधान वही है- जल्दी पहचान, तुरंत इलाज, प्रभावी रोकथाम और मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली. इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने यह भी बताया कि इलाज कवरेज 85% से ज्यादा है और सफलता दर दुनिया में सबसे बेहतर है. एचआईवी संक्रमित लोगों और टीबी मरीजों के परिवारों के लिए रोकथाम उपचार भी तेजी से बढ़ा है. हालांकि कुपोषण और डायबिटीज अभी भी क्षेत्र में टीबी के सबसे बड़े जोखिम कारक हैं जो हर साल करीब 8.5 लाख नए टीबी मामलों में योगदान देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकारों से आग्रह किया कि टीबी सेवाओं को मजबूत किया जाए, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल किया जाए और पोषण सहायता तथा आर्थिक मदद बढ़ाई जाए. डॉ. बोहम ने कहा कि हमारे पास टीबी खत्म करने के सभी साधन मौजूद हैं. बस अब और तेज निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।